लखीमपुर : महान वैज्ञानिक डॉ. जगदीश चन्द्र बसु की मनाई गई पुण्यतिथि

लखीमपुर। सनातन धर्म सरस्वती शिशु मंदिर मिश्राना में जगदीश चन्द्र बोस की पुण्यतिथि मनाई गई। जगदीश चन्द्र बोस का जन्म 30 नवम्बर, 1858 को मेमनसिंह के ररौली गांव में हुआ था जो वर्तमान में बांग्लादेश में मौजूद है। उनके पिता का नाम भगबान चन्द्र बोस था जो ब्रिटिश इंडिया गवर्नमेंट में विभिन्न कार्यकारी पदों पर कार्यरत थे। जगदीश चन्द्र के जन्म के समय उनके पिता फरीदपुर के उप मजिस्ट्रेट थे। उनका बचपन फरीदपुर में ही बीता था। साथ ही उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी वहीं पर हुई थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव की एक पाठशाला से शुरू की क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि जगदीश चन्द्र अपनी मातृभाषा सीखी और संस्कृत का ज्ञान अर्जित करें। इसलिए अंग्रेजी स्कूल पास होने के बावजूद भी उनके पिता ने अपने बेटे को सामान्य सी पाठशाला में भेजा। उसके बाद वर्ष 1869 में उनको कोलकाता भेजा गया जहां वह कुछ दिनों बाद सेंट जेवियर स्कूल में पढ़े।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी जगदीश चन्द्र बोस को जीवन भर कई प्रकार के पुरस्कार तथा सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें 1896 में लंदन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि मिली। उसके बाद 1920 में रॉयल सोसायटी के फेलो चुने गए। इंस्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एण्ड इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर्स ने जगदीश चन्द्र बोस को अपने ‘वायरलेस हॉल ऑफ फेम’ में सम्मिलित किया गया। उसके बाद 1903 में ब्रिटिश सरकार ने बोस को कम्पेनियन ऑफ़ दि आर्डर आफ दि इंडियन एम्पायर से सम्मानित किया। 1917 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें नाइट बैचलर की उपाधि भी प्रदान की।
फिजिक्स के लिए नोबेल जीतने वाले सर नेविल मोट ने जगदीश चंद्र बोस को अपने समय से 60 साल आगे चलने वाला बताया था। भारत के महान वैज्ञानिक ने 23 नवंबर 1937 को झारखंड के गिरिडीह में दुनिया को अलविदा कहा। भले जगदीश चंद्र बोस हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी वैज्ञानिक सोच और लेखनी आज भी दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत है।