प्रयागराज: रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन ने किया अजातशत्रु बद्रीलाल दवे जी के जन्म दिवस पर शत-शत नमन

अपनी शिक्षा पूर्ण कर कुछ समय तक वे अध्यापक और फिर विद्यालयों के निरीक्षक रहे, पर सामाजिक कार्य में रुचि होने के कारण बंधन वाली नौकरी में उनका मन नहीं लगा और उन्होंने खेती को अपनी आजीविका का साधन बना लिया. दा साहब बिर्गोदा के जमींदार थे, पर वे अपने क्षेत्र के लोगों को पुत्र की तरह स्नेह करते थे. उन्होंने कभी जबरन लगान वसूल नहीं किया. प्रायः लगान और अन्न इतना कम आता था कि उससे उनके परिवार का भी काम नहीं चल पाता था. फिर भी वे सदा संतुष्ट ही रहते थे.
वर्ष 1946 में गेरुआ नामक बीमारी लगने से गेहूं की फसल नष्ट हो गयी. ऐसे में दा साहब ने गांव वालों को अपने परिवार की तरह पाला. यद्यपि इससे उनकी अपनी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी, पर उन्होंने इसकी चिन्ता नहीं की. शत शत नमन करने वालों मे अनूप कुमार ,सचिन सिंह परिहार ,चंद्रशेखर सिंह, शैलेश सिंह यादव ,अभिषेक शर्मा ,पायल जायसवाल , ओंकार पांडे, संतोष कुमार तिवारी प्रथम, शैलेंद्र कुमार यादव, विद्यासागर गुप्ता, प्रवीण कुमार तिवारी, कुंदन कुमार ,रामचंद्र मौर्य, अभिषेक कुमार शुक्ला ,नागेंद्र कुमार शुक्ला, अजीत प्रताप सिंह, शंकरलाल पटेल, ऋचा गोस्वामी, अर्चना राय, किरन सिंह, जितेंद्र कुमार तिवारी, शिवजी राय ,अनिल उपाध्याय, संतोष कुमार तिवारी द्वितीय, रविंद्र कुमार द्विवेदी ,श्रवण कुमार तिवारी एवं अनुराग कुशवाहा, श्याम सुंदर मिश्रा प्रमुख रहे l