गोरखपुर : स. शि. मं. पक्कीबाग में क्षेत्रीय खेलकूद समारोह 2021 का आयोजन

कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए पूर्वी उ. प्र. के संगठन मंत्री माननीय हेमचन्द जी ने कहा कि इसी स्थान से 1952 में शिशु मंदिर योजना का शुभआरंभ हुआ, जिसका उद्देश्य अच्छी शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा व बालक का सर्वांगीण विकास करना है। इन सभी उद्देश्यों की प्राप्ति तभी हो सकती है जब हमारा शारीरिक विकास ठीक ढंग से होगा। निरोगी व्यक्ति ही सब कुछ प्राप्त कर सकता है। शरीर ही सभी प्रकार के कार्यों को करने का साधन है। हमारी ज्ञानेन्द्रियों के समुचित विकास के लिए खेल बेहद जरूरी है। इसलिए खेल प्रतियोगिताओं का निरन्तर आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो रामअचल सिंह जी ने कहा कि प्राचीन समय में शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी जाती थी आज शास्त्र के साथ-साथ विज्ञान एवं खेल का प्रशिक्षण दिया जाता है विद्या भारती इस प्रकार की शिक्षा प्रदान करती है जिससे बच्चों में संस्कार एवं सभ्यता निहित होने के साथ ही उनका शारीरिक मानसिक बौद्धिक आध्यात्मिक सभी प्रकार का विकास हो सके। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक सुभाष जी ने क्षेत्रीय खेल कूद प्रमुख में आए समस्त प्रतिभागियों को शुभकामनाएं व आशीर्वाद प्रदान किया। इससे पूर्व मंचासीन अतिथियों का परिचय प्रधानाचार्य धीरेन्द्र सिंह ने कराया। आभार ज्ञापन पुष्पदन्त जैन (अध्यक्ष स.शि.म.पक्कीबाग़) ने की, संचालन अजय दुबे (प्रान्तीय खेलकूद प्रमुख) ने किया।
उक्त अवसर पर प्रान्त प्रचारक प्रमुख यशोदानन्द जी, डॉ. राममनोहर जी (प्रान्त संगठन मंत्री काशी प्रान्त), जगदीश सिंह जी( क्षेत्रीय खेल कूद प्रमुख पूर्वी उत्तर प्रदेश) योगेश जी (क्षेत्रीय सेवा शिक्षा संयोजक), युगल किशोर जी (खेल कूद प्रमुख काशी प्रान्त), व्यवसायी ओम जालान जी (पूर्व मंत्री, पक्कीबाग़), बलराम अग्रवाल (मंत्री), कमलेश कुमार सिंह जी (प्रदेश निरीक्ष, शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रान्त), विभाग कार्यवाह आत्मानन्द सिंह जी, प्रो. कीर्ति पाण्डेय जी, डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव जी, डॉ रामनाथ गुप्त जी, डॉ. सूर्यकान्त त्रिपाठी जी, राजबिहारी विश्वकर्मा जी, राकेश अग्रहरी जी (सहप्रान्त खेल कूद प्रमुख), सरोज तिवारी जी, दिवाकर मिश्र, कृपा शंकर जी, अरविन्द दूबे जी, दीपेन्द्र जी, शैल जी आदि उपस्थित थे।