गोरखपुर : स. बा. वि. सूर्यकुण्ड में मनाया गया धर्मवीर पंडित लेखराम जी का बलिदान दिवस

17 वर्ष की अवस्था में वे पुलिस में भर्ती हो गए पर कुछ समय बाद उनका झुकाव आर्य समाज की ओर हो गया। वे एक माह का अवकाश लेकर ऋषि दयानंद जी से मिलने अजमेर चले गए। वहाँ उनकी सभी जिज्ञासाएँ शान्त हो गयी। लौटकर उन्होनें पेशावर में आर्य समाज की स्थापना की और धर्म प्रचार में लग गए। धीरे-धीरे वे आर्य मुसाफिर के नाम से प्रसिद्ध हो गए। पं. लेखराम ने धर्मोपदेश नामक एक उर्दू मासिक पत्र निकाला।उच्च कोटी की सामग्री के कारण कुछ समय में ही वह प्रसिद्ध हो गया। 6 मार्च 1897 की शाम जब वे लाहौर में लेखन से निवृत हो उठे तो एक मुसलमान ने उन्हे छुरे से बरी तरह घायल कर दिया। उन्हे तुरन्त अस्पताल पहुँचाया गया, उन्हे बाचाया नही जा सका।