बंग भंग आंदोलन के अमर बलिदानी थे कन्हाई लाल दत्त जी : बांके बिहारी पांडे

वास्तव में तो उनका पैत्रिक घर बंगाल के ही श्रीराम पुर में था। कन्हाई जब चार वर्ष के थे तब उनके पिता उनको लेकर बम्बई चले गये थे। पांच वर्ष बम्बई में रहने के बाद नौ वर्ष की आयु में वह वापस चन्दन नगर आ गये थे और वही उनकी प्रारम्भिक से लेकर विश्वविद्यालय तक की शिक्षा हुई। चन्दन नगर के डुप्ले कालेज से उन्होंने स्नातक की परीक्षा दी थी। उसी कालेज के एक प्राध्यापक चारु चन्द्र राय से गहनता के कारण कन्हाई को क्रान्ति पथ का परिचय प्राप्त हुआ था।कन्हाई को 10 नवम्बर 1908 को फांसी देने का दिन तय किया गया। सत्येन्द्र को दो दिन बाद प्राण दण्ड दिया गया।
विनम्र श्रद्धांजलि प्रदान करने वालों में अनूप कुमार ,सचिन सिंह परिहार ,चंद्रशेखर सिंह, शैलेश सिंह यादव ,अभिषेक शर्मा ,पायल जायसवाल , ओंकार पांडे, संतोष कुमार तिवारी प्रथम, शैलेंद्र कुमार यादव, विद्यासागर गुप्ता, विनोद कुमार, प्रवीण कुमार तिवारी, कुंदन कुमार ,रामचंद्र मौर्य, अभिषेक कुमार शुक्ला ,नागेंद्र कुमार शुक्ला, अजीत प्रताप सिंह, शंकरलाल पटेल, ऋचा गोस्वामी, दीक्षा पांडे ,अर्चना राय, किरन सिंह, जितेंद्र कुमार तिवारी, शिवजी राय ,अनिल उपाध्याय, संतोष कुमार तिवारी द्वितीय, रविंद्र कुमार द्विवेदी ,श्रवण कुमार तिवारी एवं अनुराग कुशवाहा प्रमुख रहे l