शिशु मंदिर के पूर्व छात्र ने परीक्षा से ज्यादा महत्व वृद्ध की जान बचाने को समझा

शिशु मंदिर के पूर्व छात्र ने परीक्षा से ज्यादा महत्व वृद्ध की जान बचाने को समझा

बस्ती। सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कालेज शिवा कॉलोनी की वंदना सभा में 15 मार्च 2023 को भारत नेपाल सीमा सेवा ,शिक्षा संयोजक आदरणीय राघव जी ने परीक्षा पर चर्चा करते हुए भैया-बहनों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपना एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि मैं अपने प्रवास के क्रम में  अपनी योजना के एक विद्यालय में गया हुआ था,  एक बालक प्रावधिक कला के परीक्षा देने वाले छात्र को परीक्षा अवधि में समय से आने में आधे घंटे का विलंब हो  गया था ,उसे प्रवेश नहीं मिल रहा था लेकिन बहुत आग्रह के बाद जब वह अन्दर आया तो उसने बताया कि महोदय मैं जब परीक्षा देने आ रहा था तो रास्ते में एक वृद्ध व्यक्ति ,किसी वाहन के दुर्घटना का शिकार होकर तड़प रहा था लेकिन लोग आते और देखकर चले जाते कोई मदद नहीं कर रहा था। महोदय मेरे मन में यह वेदना जगी कि यदि मैं इसकी मदद नहीं करूंगा तो कोई अनहोनी हो सकती है। अतः मैंने उसे वहां से उठाकर और रिक्शे पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाया जिस कारण से आज परीक्षा में बिलंब हुआ, मुझे जितना भी समय मिलेगा मैं उतने में ही अपना परीक्षा पूर्ण कर लूंगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैंने, उससे कहा कि तुमने मानवता की एक अनूठी मिसाल पेश की है और मैंने प्रधानाचार्य जी से आग्रह किया कि  आप इसे अवसर दें और उन्होंने  उस बालक को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी। जब मैंने उस बालक से पूछा तुम इसके  पहले इंटर कहां से पास किए हैं तो उसने कहा कि महोदय मैं सरस्वती विद्या मंदिर  इंटर कालेज माल्देपुर बलिया का पूर्व छात्र रहा हूं और मेरे आचार्यों ने मुझे सेवा ,समर्पण, त्याग जैसे  अनेक संस्कार अपने शिक्षण के समय दिए हैं ,जिस कारण से मैंने परीक्षा से अधिक महत्व उस वृद्ध आदमी की जान बचाने को समझा। इसी के  साथ उन्होंने भैया बहनों से कहा कि आप परीक्षा काल में समय से हर कार्य  को करें समय पालन महत्वपूर्ण है। साथ समाज के दीन दयालु ,असहाय बालक बालिकाओं के शिक्षण हेतु कुछ समय निकालें उन्हें अपने ज्ञान का लाभ दें। हमारे विद्या भारती के हजारों संस्कार केंद्र,बाल सेवा शिक्षण केन्द्र चल रहें जहां पूर्व छात्र छात्राएं जाकर  निशुल्क उन मलिन बस्ती में छोटे छोटे भैया बहनों को शिक्षा दीक्षा दे रहे हैं  और उनके अभिभावकों से कहते हैं कि आप अपने दुर्व्यसनों को छोड़ें हम आप के बच्चों का प्रवेश निशुल्क विद्या भारती के विद्यालयों में कराएंगे। आचार्य बंधुओं को सुझाव देते हुए आदरणीय राघव जी ने कहा कि हम आचार्य बंधुओं व आचार्या बहनों को मुख्य रूप से तीन बातों का ध्यान देना चाहिए। शिक्षण, व्यापक सम्पर्क व स्वच्छता।हमारा शिक्षण प्रभावी हो,हमारा सम्पर्क समाज के हर वर्ग तक हो तथा हम सभी सामाजिक परिवेश में साफ सफाई व स्वयं के व्यवहार व व्यक्तित्व से समाज को प्रभावित करने का प्रभाव रखें।

विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री संतोष कुमार सिंह जी ने आदरणीय राघव का परिचय कराते हुए उनके प्रति आभार ज्ञापित किया। विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार श्रीवास्तव जी ने बैज लगाकर व अंग वस्त्र देकर आदरणीय राघव जी का स्वागत किया। आदरणीय राघव जी जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन एक प्रचारक, कुशल संगठक के रूप में विद्या भारती के  विभिन्न योजनाओं को गति देने का काम किया।भारत नेपाल सीमा सेवा, शिक्षा संयोजक राघव जी अपने आत्मीय सम्मान में विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार श्रीवास्तव को अंग वस्त्र भेंट करते हुए कहा हमारे लिए तो सम्मान पाने का पहला स्थान हमारे आचार्य बंधुओं का। है जो दिन रात विद्या भारती की सेवा में लगे हुए हैं। विद्यालय परिसर में एक आवश्यक बैठक आदरणीय राघव जी भारत नेपाल सीमा सेवा शिक्षा संयोजक व आदरणीय अर्जुन कुमार उपाध्याय जी प्रांतीय संस्कार केन्द्र प्रमुख गोरक्ष प्रांत द्वारा नगर के विद्यालयों द्वारा संचालित संस्कार के संचालक व संचालिकाओं के साथ किया गया।